आयकर (इंकम टैक्स) में छूट के उद्देश्य से स्वयंसेवी संस्थाओं के लिए 80 जी का रजिस्ट्रेशन बहुत आवश्यक है. एक दानदाता चाहे वो कोई व्यक्ति, कम्पनी, एसोसिएशन या संगठन हो यदि वो किसी स्वयं सेवी संस्था को कुछ राशि दान देता है तो अपनी कुल वार्षिक आय में से इंकम टैक्स में छूट पाने के दायरे में वो आता है. उसे यह छूट आयकर अधिनियम (इंकम टैक्स एक्ट) की धारा 80 जी के तहत मिलती है. फिर भी, दानदाता द्वारा दान की गई राशि उसकी कुल आय से दस प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
दान जो भी हो वह प्रचलन में आने वाली करेंसी में होना चाहिए और इसे केस बुक में दर्शाया जाना चाहिए. बाइक-कम्प्यूटर आदि भी दान में दी जाए तो उनका मूल्यांकन करके कि ये कितने रूपये कि है उन्हें रूपयों में ही आंका जाए. दान लेने वाली संस्था को ऐसे दान पर रसीद देनी होती है जिस पर 80 जी रजिस्ट्रेशन का नम्बर व दिनांक दर्ज हो. इससे यह पता चलता है कि 80 जी सर्टिफिकेट मान्य है.
80 जी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में निर्धारित समय लगता हैं. नए एनजीओ को यह और यह निश्चित अवधि 3 वर्ष के लिए ही मिलता है. तीन वर्ष के उपरांत 5 वर्ष के लिए इसका वापस पंजीयन करवाना होता है. जिनका पूर्व में स्थाई पंजीयन था उनका भी 5 वर्ष की सीमा तक के लिए ही पंजीयन मान्य किया गया है. 5 वर्ष उपरांत उनको भी अगले 5 वर्ष कल इए वापस 80 जी के तहत पंजीयन करवाना होता है.
रजिस्ट्रेशन के लिए ट्रस्ट डीड की एक कॉपी, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, और कार्य का विवरण की विस्तृत रिपोर्ट और की हुई एकाउण्ट्स की नकलें जरुरी होती है. कुछ शर्ते भी है जो 80 जी के तहत पूरी की जानी हाती है वह है कि इसमें व्यवसाय से होने वाली आय स्वयं सेवी संस्था की आय के साथ शामिल न हो. स्वयंसेवी संस्था किसी धार्मिक समुदाय व जाति के लाभ के लिए कार्य न कर रही हो. स्वयंसेवी संस्थाओं को संस्था की आय व खर्चों का नियमित हिसाब रखना चाहिए.