एनजीओ रजिस्ट्रेशन

संस्था का रजिस्ट्रेशन
स्वयं सेवी संस्थान (एनजीओ) का रजिस्ट्रेशन एक प्रक्रिया है जिसके तहत संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन होता है. संस्था के रजिस्ट्रेशन कि प्रक्रिया में कुछ दस्तावेजों की जरुरत होती है जिसमें संस्था का नाम, संस्था का पता, अपनी मान्य-अधिकृत पहचान के साथ सदस्यों की प्रमाणिक पहचान से जुड़े दस्तावेज आदि शामिल है. चाणक्य इस प्रक्रिया के लिए कोई भी एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लेती है. चाणक्य कंसल्टेंसी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की पूरी जिम्मेदारी लेती है. यदि संस्था रजिस्ट्रेशन में आपको कोई मुश्किल आ रही हो तो हमसे परामर्श लें. संस्था रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूरा होने में एक हफ्ते से लेकर दो महिना लगते हैं.

एनजीओ (स्वयं सेवी संगठन) समाज सेवा करने वाले व्यक्तियों का ऐसा समूह, संगठन और संस्थान है जो बिना किसी फायदे/हित के या बिना किसी व्यापार उद्देश्य के सेवा भावना के उद्देश्य के साथ समाज के विकास व कल्याण के कार्य के प्रति समर्पित हो. एनजीओ (NGO) सरकारी संस्थाओं से पूरी तरह से अलग होते हैं, ये सरकारी नियंत्रण में प्रत्यक्ष रूप से नहीं होते है लेकिन इनके कार्य का तरीका सरकार की तरह ही मानवता के लिए विभिन्न संबंधित क्षेत्र में सरकार से सहयोग करने का ही होता है. इसलिए एनजीओ गैर सरकारी संगठन (Non Governmental Organization) के नाम से जाने जाते हैं. दुनियाभर में एनजीओ को एक ऐसे परोपकारी संगठन के तौर पर देखा जाता है जो सरकारी व गैर सरकारी एजेंसीज से अनुदान (फंड) लेकर उसका जन कल्याण हेतु विकास का कार्य करते है. इसलिए एनजीओ को एनपीओ (NPO)भी कहा जाता है. एनपीओ का अर्थ नॉन प्राफिट आर्गेनाइजेशन (Non Profit Organization) होता है. सामुदायिक संगठन, एसोसिएशन और नागरिक समूह जो समाज कल्याण नीतियों पर प्रभाव डालने वाली विकास और जागरूकता जैसे कार्यों से जुड़े हुए हैं या जुड़ कर कार्य करना चाहते हैं उन्हें एनजीओ रजिस्ट्रेशन की जरूरत पड़ती है. और एक रजिस्टर्ड एनजीओ किसी भी क्षेत्र में विभिन्न समाज कार्य के लिए मान्यता प्राप्त संगठन होता है.

एनजीओ रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया
जब भी कोई संस्था बनाने की सोचता है तो संस्था रजिस्ट्रेशन के लिए उसे संस्था के एक नाम के बारे में सोचना होता है. सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने के लिए सामाजिक कार्यकर्त्ता और समाजसेवियों को गैर सरकारी संगठन या अलाभकारी संगठन या स्वैच्छिक संगठन या सामाजिक संगठन को रजिस्टर करवाना होता है. समाजसेवियों या सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपने संगठन या संस्था को रजिस्टर करवाना इसलिए जरूरी होता है कि वे अपने सामाजिक कार्यों के लिए चलाए जाने वाली परियोजना (प्रोजेक्ट) व कार्यक्षेत्र के लिए सरकारी व गैर-सरकारी देशी-विदेशी अनुदानदाताओ (फंडिंग एजेंसीज) से वित्तीय अनुदान सहायता ले सके व जिस कार्यक्षेत्र में कार्य करना चाहते हैं, कर सकते हैं.
विभिन्न देशों की तरह ही भारत में भी एनजीओ रजिस्टर करवाने के अलग-अलग तरीके व कानून कायदे हैं. एनजीओ रजिस्ट्रेशन अथवा स्वयं सेवी संस्थान का पंजीयन करवाने का बेसिक व प्रारंभिक चरण है किसी भी एनजीओ या एनपीओ या स्वैच्छिक संगठन को चलाने के लिए उसे कानूनी पहचान दिलाने के लिए उस संस्था संगठन का पंजियानकर्ता विभाग अथवा प्राधिकारी से रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी हो जाता है. यदि कोई भारत में अपनी संस्था रजिस्टर करवाना चाहता है तो हमारे देश में विभिन्न तरीके है संस्था रजिस्टर करवाने के. कुछ राज्यों जैसे मुंबई-गुजरात में संस्था रजिस्टर करवाने के लिए अलग प्रक्रिया है. इसी तरह संस्था को चेरिटेबल संस्था के रूप में रजिस्टर करवाने के भी अलग तरीके हैं. भारत के विभिन्न राज्यों में सबसे अधिक प्रचलित संस्था के रजिस्ट्रेशन की सामान्य प्रक्रिया – ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन, सोसायटी रजिस्ट्रेशन एवं नॉन प्रॉफिट कंपनी रजिस्ट्रेशन के तहत मान्य है.

संस्था का भारत सरकार, राज्य सरकार या कोई भी संवैधानिक संस्था के नाम पर या नाम जैसा नहीं होना चाहिए. हमारी टीम और हमारे विशेषज्ञ संस्था को सही नाम के चयन में मदद करते हैं जो नियम और कानून के अनुसार हो. हमारी टीम में विशेषज्ञ है जो संस्था रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया की सभी स्तर की जरूरी औपचारिकताओं से वाकिफ है. संस्था को बनाने के लिए संस्था के रजिस्ट्रेशन में लगने वाले वक्त में जितना समय लगता है जरूरी तैयारी होने पर उसी नियत वक्त में हम रजिस्ट्रेशन करवा देते हैं इससे संस्था निर्माताओं का मूल्यवान वक्त बर्बाद नहीं होता है.

एनजीओ रजिस्ट्रेशन के प्रकार
एनजीओ रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया अलग-अलग है लेकिन भारत में लगभग ज्यादातर राज्यों में संस्था रजिस्ट्रेशन के लिए एक जैसा ही कानून है. हमारे देश में कोई भी गैर सरकारी संगठन समाजसेवा के कार्यों, परोपकारी कार्यों व समाज विकास के उद्देश्य से देश में निहित भिन्न-भिन्न कानूनों के तहत अपनी संस्था को रजिस्टर करवा सकता है. जो इस तरह है:

राष्ट्रीय स्तर पर संस्था रजिस्टर करवाने के लिए कानून व प्रक्रिया सोसाइटी रजिस्ट्रेशन व इंडियन ट्रस्ट एक्ट की एक जैसी ही है. एनजीओ को सोसाइटी, ट्रस्ट और नॉन प्रॉफिट कंपनीज में से किसी भी एक प्रक्रिया में रजिस्टर किया जा सकता है. ऐसी ट्रस्ट या सोसायटी एनजीओ के नाम से जानी जाती है. यह संस्था बनवाने वालों पर निर्भर करता है कि वो सोसायटी, ट्रस्ट और नॉन प्रॉफिट कंपनी में से किस विकल्प का चयन करता है. हां, लेकिन यह स्पष्ट है कि संस्था, सोसायटी, ट्रस्ट या नॉन प्रॉफिट कंपनी में से किसी भी प्रारूप में रजिस्टर हुई हो उसके स्टेटस, सरकारी सहायता, फंडिंग एजेंसीज से अनुदान या आर्थिक मदद व कार्य करने के तौर तरीकों में कोई भी फर्क नहीं होता है. सरकारी व गैर सरकारी फंडिंग एजेंसीज चेरिटेबल सोसायटी, ट्रस्ट व नॉन प्रॉफिट कंपनी को फंड देने के लिहाज से एक ही सामान मापदंड होता है, चाहे इनका पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) किसी भी प्रक्रिया या कानून के तहत हुवा हो. सभी तीनों प्रकार से पंजीकृत (रजिस्टर्ड) संगठन/समूह एनजीओ ही कहे जाते है और इसी रूप में परिभाषित किये जाते है.

NGO Registration

राष्ट्रीय स्तर और प्रदेश स्तर का एनजीओ रजिस्ट्रेशन

हमारे देश में संस्था रजिस्ट्रेशन के लिए रजिस्ट्रेशन दो प्रकार का है. एक प्रादेशिक स्तर पर दूसरा राष्ट्रीय स्तर पर. इसलिए संस्था रजिस्ट्रेशन से पहले यह जान लेना जरूरी है कि संबंधित राज्य में संस्था कौन कौन से कानून के तहत रजिस्टर होती है. विभिन्न राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में नियम अलग है. संस्था को रजिस्टर करवाने की अनेक प्रक्रियाएं है लेकिन इसको संचालित करने व इसके प्रबंधन का तौर तरीका किसी भी प्रबंधन या प्रतिष्ठान को चलाने व उसके लिए आर्थिक संसाधन की व्यवस्था करने की तरह ही है.

ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन
एनजीओ इण्डियन ट्रस्ट एक्ट के तहत ट्रस्ट में रजिस्टर्ड हो सकती है. इण्डियन ट्रस्ट एक्ट के तहत एनजीओ के लिए ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन नेशनल स्तर व राज्य स्तर पर प्रभावी है. यह एक ही है, बस कुछ राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में कुछ अलग है. यदि कोई भी संगठन जनसेवा उद्देश्य से ट्रस्ट में रजिस्टर होती है तो एनजीओ ही कहलाती है. ट्रस्ट भी सोसायटी की तरह ही विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी विभाग से फंड पाने की सभी पात्रता रखती है. एनजीओ को ट्रस्ट में रजिस्टर करवाना अन्य एनजीओ रजिस्ट्रेशन की प्रक्रियाओं से सरल है. इसमें ज्यादा औपचारिकताएं व बाध्यताएं नहीं है. ट्रस्ट के तहत रजिस्टर्ड समाज सेवी संगठन (NGO) कार्यों में व अन्य परोपकारी कार्यों में सोसायटी की तरह ही है लेकिन राजस्थान जैसे कुछ राज्यों में लाभ प्राप्त करने वाली शैक्षणिक संस्थाएं जैसे स्कूल आदि को सरकार से मान्यताप्राप्त के लिए सोसायटीज एक्ट में रजिस्टर करवाना होता है. अन्य राज्यों में परोपकार व जनसेवा के अलावा शैक्षणिक संस्थान ट्रस्ट के अंतर्गत भी संचालित कर सकते हैं.
(ज्यादा जानकारी के लिए ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन)

Trust Registration

सोसायटी रजिस्ट्रेशन
सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के तहत सोसायटी को एनजीओ में रजिस्टर करवा सकते हैं. विभिन्न राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों में सोसायटी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में थोड़ा फर्क है. देश के कुछ विशेष राज्यों में एक एनजीओ की तरह सोसायटी के स्टेटस में कुछ फर्क हो सकता है. कुछ राज्यों में एनजीओ को सोसायटी रजिस्ट्रेशन करवाने पर वह राज्य स्तरीय एनजीओ ही होती है. संपूर्ण भारत में कार्य करने के लिए यदि सोसायटी को एनजीओ में रजिस्टर्ड करवाना हो तो सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के तहत इसे नेशनल केपिटल दिल्ली से रजिस्टर करवाना होता है. राष्ट्रीय स्तर पर एनजीओ को सोसायटी के रूप में रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए देश के भिन्न-भिन्न 8 राज्यों से सदस्यों को जोड़ना जरूरी है. महाराष्ट्र में बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट-1950 के तहत गैर सरकारी संगठन रजिस्टर्ड करवाने के लिए 7 व्यक्तियों की जरूरत होती है.
(ज्यादा जानकारी के लिए सोसायटी रजिस्ट्रेशन)

Society Registration

रजिस्टर्ड एनजीओ के लिए अन्य आवश्यक रजिस्ट्रेशन
किसी सामाजिक संगठन या समूह को एनजीओ के स्टेट्स में रजिस्टर्ड करवाने के बाद भी कुछ अन्य सरकारी कार्यालयों से सरकारी विभागों से कुछ अन्य रजिस्ट्रेशन करवाने की आवश्यकता पड़ती है. आवश्यक होने पर रजिस्टर्ड एनजीओ को विभिन्न सरकारी विभागों से अलग अलग रजिस्ट्रेशन करवाने होते हैं. सरकारी या अन्य दूसरे विभागों व अन्य एजेंसीज से आवश्यक होने पर नियम कानूनों के मुताबिक एक तयशुदा प्रक्रिया के तहत रजिस्टर्ड एनजीओ को अन्य दूसरे रजिस्ट्रेशन भी करवाने होते हैं. संस्था को समाज सेवा के कार्यक्रम चलाने के लिए मिलने वाले अनुदान, वित्तीय सहायता में टैक्स छूट के लिए इनकम टैक्स विभाग से रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. यदि एनजीओ किसी भी तरह की विशेष सेवाकार्य या उत्पाद बेचने-उत्पाद निर्माण जैसी गतिविधियों से जुड़ी है तो उसे उससे संबंधित विभाग से स्वीकृति-लाइसेंस हेतु रजिस्ट्रेशन करवाना होता है.
यदि कोई संस्था अनाथाश्रम, महिलाश्रम, वृद्धाश्रम जैसे सेवा कार्य से जुड़ना चाहते हैं तो उसे समाज कल्याण विभाग की स्वीकृति चाहिए होती है. यदि कोई संस्था आयुर्वेद औषध निर्माण से जुड़े तो उसे संबंधित विभाग से लाइसेंस लेना जरूरी है. इसी तरह अन्य और भी अनेक कार्य है जिसके लिए पृथक से कानून व मापदण्ड बने है उनकी अनुपालना जरूरी है.

संस्था को भारत में विदेशी फंडिंग के लिए विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगूलेशन एक्ट)/ एफसीआरए - FCRA) के तहत भारत सरकार के गृह मंत्रालय से रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होता है. इस तरह कार्य संचालन व आवश्यकतानुरूप संस्था को समय-समय पर विभिन्न नियमों व कानूनों के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक है.
एनजीओ को एक बार रजिस्टर्ड एनजीओ होने के पश्चात भी भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों व सरकारी विभाग से अन्य तरह के रजिस्ट्रेशन करवाने आवश्यक होते हैं.
एनजीओ (NGO) के लिए आयकर (इंकम टैक्स) में छूट के लिए आयकर विभाग (इंकम टैक्स डिपार्टमेंट) से रजिस्ट्रेशन करवाने आवश्यक होते हैं.
भारत के इनकम टैक्स के 80 जी में छूट के लिए एनजीओ को रजिस्ट्रेशन करवाना होता है.
इनकम टैक्स एक्ट के 12 ए में छूट के लिए एनजीओ को रजिस्ट्रेशन करवाना होता है.
इनकम टैक्स एक्ट में धारा 35 एसी, 35 एसी 1,2 के तहत छूट में संस्था को रजिस्ट्रेशन करवाना होता है.
एफसीआरए (फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट) के तहत एनजीओ को रजिस्ट्रेशन करवाना होता है.
विदेशी फंडिंग सहायता के लिए एनजीओ को भारत सरकार के गृह मंत्रालय से परमानेंट रजिस्ट्रेशन एफसीआरए के तहत करवाना होता है.
विदेशी फंडिंग सहायता के लिए जरुरत होने पर अस्थाई प्रायर परमिशन लेनी हो तो वो भी एफसीआरए के तहत भारत सरकार के गृह मंत्रालय से लेनी होती है.

आयकर (इंकम टैक्स) में छूट के लिए 80 जी और 12 ए में रजिस्ट्रेशन

भारत में एनजीओ, कंपनी या किसी व्यक्ति विशेष के वित्तीय लेन देन का आयकर (इंकम टैक्स) रिटर्न भरना पड़ता है. यदि एनजीओ फंडिंग चाहती है या कुछ अन्य जरूरी रजिस्ट्रेशन करवाना चाहती है तो एनजीओ को इनकम टैक्स रिटर्नस भरने होते हैं. इनकम की वार्षिक ऑडिट की सभी मामलों में जरूरत पड़ती है.
यदि एनजीओ अपनी आय या जो रूपया उसके पास दान से या एनजीओ की आय से उसके खाते में आता है उस पर आयकर (इंकम टैक्स) छूट चाहती है तो उसे आयकर अधिनियम (इंकम टैक्स एक्ट) की धारा 12 ए के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. इसी तरह दानदाताओं को दी गई उनके द्वारा दानराशी में छूट के लिए इंकम टैक्स एक्ट की धारा 80 जी के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. दानदाताओं को विशेष कर कॉरपोरेट सेक्टर से सीएसआर के तहत एनजीओ को फंड मिले इसके लिए इन दानदाताओं को टैक्स में छूट मिले इसके लिए एनजीओ को इंकम टैक्स एक्ट के तहत में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. इसके पश्चात संस्थान को सीएसआर 1 के तहत भी कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय (Ministry Of Corporate Affairs) से पंजीकरण करवाना होता है.
(ज्यादा जानकारी के लिए इंकम टैक्स रजिस्ट्रेशन)

विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) रजिस्ट्रेशन (FCRA)

यदि स्वयंसेवी संस्थाएं/गैर सरकारी संगठन-विदेशों से फंडिंग एजेंसीज, परोपकारी समूह, कंपनीज या किसी विदेशी व्यक्ति से वित्तीय अनुदान सहयोग/चंदा लेना चाहती है तो एनजीओ को भारत सरकार के गृह मंत्रालय से फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगूलेशन एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. विदेशी फंडिंग लेने के लिए संस्थाओं को एफसीआरए के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है. विदेशी धन जमा कराने के लिए एनजीओ को बैंक अकाउण्ट भी अलग से ही खुलवाना होता है. एफसीआरए का परमानेंट रजिस्ट्रेशन एनजीओ को तीन वर्ष के बाद ही मिल पाता है. एनजीओ का तीन वर्ष का लेन देन ऑडिट में यदि कम से कम 10 लाख का हो तो उसे परमानेंट एफसीआरए सर्टिफिकेट मिल जाता है. तीन वर्ष से पहले विदेशी फंडिंग प्राप्त करने के लिए एफसीआरए का अस्थायी पंजीयन अनुज्ञापत्र (टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) भी एनजीओ ले सकती है.
(ज्यादा जानकारी के लिए एफसीआरए रजिस्ट्रेशन)

चाहे कॉर्पोरेट क्लाइंट हो या संस्थाएं जिनका समाज के हित में समाज कल्याण से जुड़े कार्यसेवा करने का सपना हो वे किसी भी समय किसी भी विषय पर चाणक्य कंसल्टेंसी की सेवाएं ले सकते हैं. संस्था भारत में किसी भी जगह स्थित हो या कहीं पर भी संस्था रजिस्टर करवानी हो वे हमें संपर्क करें हमारी टीम संस्था रजिस्ट्रेशन में अवश्य ही उनकी मदद करेगी. बहुत सी बार क्लाइंट रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया से परिचित नहीं होता है तो वह अपने को बड़ी असमंजस की स्थिति में पाता है. चाणक्य आपके मूल्यवान समय को नष्ट होने से रोकने के लिए सभी स्पष्ट तौर पर अपने क्लाइंट को समझा देती है कि किस तरह से रजिस्ट्रेशन होगा क्या जरूरी दस्तावेज संलंग्न करने हैं जिससे क्लाइंट का समय बर्बाद न हो. चाणक्य कंसल्टेंसी रजिस्ट्रेशन के लिए सभी दस्तावेज तैयार करके संस्था रजिस्ट्रार के कार्यालय में पेश करवाती है.

NGO Registration

Exit mobile version