सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के प्रावधानों के अनुसार कम से कम 7 या उससे ज्यादा व्यस्क व्यक्ति मिलकर संस्था का गठन कर सकते हैं. राष्ट्रीय स्तर की स्वयंसेवी संस्था बनाने के लिए 7 भिन्न-भिन्न राज्यों से 7 व्यस्क व्यक्ति की जरूरत होती है. इन 7 सदस्यों में से कोई एक व्यक्ति संस्था के नाम के 3 विकल्पों के साथ संबंधित रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्रेशन हेतु आवेदन कर सकता है. संस्था के नाम के तीन विकल्प देना बहुत सी बार फायदेमंद ही साबित होता है. यदि आप ने कोई एक नाम ‘सहयोग’ से आवेदन किया रजिस्ट्रेशन हेतु और संबंधित कार्यालय इस नाम से पूर्व में रजिस्ट्रेशन कर चुका है तो वह ‘सहयोग’ नाम से आपकी संस्था को रजिस्टर्ड नहीं करेगा. आपका समय व मानसिक उर्जा नष्ट न हो इसके लिए आप सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के तहत संस्था रजिस्टर करवाते समय संस्था के अन्य दो नाम भी विकल्प के तौर पर रखे.
सोसायटी एक्ट के तहत संस्था रजिस्ट्रेशन के लिए दो तरह के दस्तावेजों की आवश्यकता होती है. वे हैं नियम और प्रावधान, और मेमोरेंडम ऑफ़ एसोसिएशन, मेमोरंडम में नाम, संचालन क्षेत्र का विवरण, पंजीकृत कार्यालय का पता, संचालन कार्यकारियों के सदस्यों के नाम व पता संस्था के उद्देश्य आदि आते हैं. नियमों के तहत वे सभी प्रावधान आते हैं जिनका संस्था को पालन करना है. दस्तावेजों में इन सभी जानकारी का स्पष्ट विवरण होना चाहिए. इसमें फोरम के गठन, मिटिंग आयोजित करना, सदस्यों को हटाने की जैसी पूरी जानकारी होनी चाहिए.
संस्था रजिस्टर करवाने के कई तरीके हैं. यदि आप भ्रमित हो रहे है तो चाणक्य कंसल्टेंसी से संपर्क कर सकते हैं. चाणक्य उन्हें विस्तार से सभी विकल्पों के बारे में बताएगी. रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया में कुछ दस्तावेजों की ही जरूरत रहती है. पूरी प्रक्रिया में एक कवरिंग लेटर, मेमोरंडम ऑफ़ एसोसिएशन की डूप्लीकेट कॉपी, रूल्स व रेगूलेशन, अध्यक्ष या संबंधित व्यक्ति का एफिटेविट, रजिस्टर्ड कार्यालय का प्रमाण और कुछ अन्य जरूरी बातें. अतः यदि आप संस्था रजिस्टर्ड करवाना चाहते हैं तो समय की बचत के लिए इस जानकारी का उपयोग करें व बाकि अन्य रजिस्ट्रेशन से जुड़ी मुश्किलों का बोझ हम पर छोड़ दें.