ट्रस्ट पंजीयन (ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन) के लिए कुछ कानूनी औपचारिकताओं व प्रक्रिया को पूरा करना होता है. रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद ट्रस्ट अपने वैध कानूनी मान्यता वाले अस्तित्व में आ जाती है. एक बार कानूनी तौर पर अस्तित्व में आने के बाद इसे निरस्त नहीं किया जा सकता. कुछ नियमों के तहत ट्रस्ट की गतिविधियों को देश के बाहर भी संचालित किया जा सकता है. कुछ कानूनी नियम है जिनकी अनुपालना जरूरी है और कुछ कानूनी प्रावधान है जो आयकर कानून के दायरे में आते हैं उनकी अनुपालना भी जरूरी है. पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट (सार्वजानिक परोपकारी न्यास), चाहे वो चल सम्पत्ति या अचल सम्पत्ति से संबंधित हो या किसी भी वसीयत के मुताबिक बनाई गयी हो या किसी ने कोई चल अचल सम्पत्ति ट्रस्ट के लिए दान दी हो इसलिए ट्रस्ट बनाई गई हो. इनकम टैक्स की धारा 11 के अनुसार टैक्स में छूट के लिए इस तरह की किसी भी ट्रस्ट डीड के मेमोरंडम में अधिकृत कार्यालय से रजिस्टर्ड होना आवश्यक है.
देश के भिन्न-भिन्न राज्यों में एनजीओ रजिस्ट्रेशन के कार्य की जिम्मेदारी अलग-अलग सरकारी कार्यालय में होती है. इसलिए एनजीओ रजिस्ट्रेशन से पहले व एनजीओ रजिस्ट्रेशन के पश्चात् सरकारी दफ्तरों से संबंधित क्या-क्या औपचारिकताएं पूरी करनी होती है इसकी संपूर्ण जानकारी एनजीओ बनाने से पहल ले लेने चाहिए जिससे एनजीओ प्रबंधन व संचालन में कोई रूकावट न आए.
एनजीओ को ट्रस्ट के रूप में बनाना व रजिस्टर्ड करवाना सबसे उपयुक्त, आसान व सरल प्रक्रिया है. एक एनजीओ को चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में रजिस्टर करवाने के बाद बिना किसी अनचाहे व अनावश्यक दखलअंदाजी के संस्था का प्रबंधन व संचालन करना बेहद आसान है. एनजीओ का चेरिटेबल ट्रस्ट में रजिस्टर्ड करवाने से उसका स्टेटस सोसायटी के ही समान होता है और चेरिटेबल ट्रस्ट को सरकारी, गैर सरकारी, विदेशी फंडिंग एजेंसीज से फंड मिलने में भी कोई अड़चन नहीं आती है. इण्डियन ट्रस्ट एक्ट की धारा 3 में यह स्पष्ट है कि ट्रस्ट का निर्माण दूसरों के लाभ के लिए किया जा रहा है या किस तरह से किसके लिए है यह स्पष्ट हो.
चैरिटेबल एण्ड रीलिजीयस एण्डोमेंट एक्ट और इण्डियन ट्रस्ट एक्ट के तहत भारत में सभी समुदाय चेरिटेबल ट्रस्ट बना सकते है. वक्फ एक्ट के तहत मुस्लिम समुदाय चैरिटेबल उद्देश्य से वक्फ बना सकते है. ट्रस्ट बनाते समय कुछ धनराशि या अचल संपत्ति को सार्वजनिक उपयोग के लिए ट्रस्ट डीड में दर्शाकर घोषित करना होता है. इस तरह भलाई के उद्देश्य से ट्रस्ट के रूप में एनजीओ का निर्माण होता है जिससे कि अनुदानित ट्रस्ट (चेरिटेबल ट्रस्ट) का गठन करने वाले अपने उद्देश्य सही तरह से पूरे कर सकें.
एक चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन सेटलर / न्यासकर्ता जो कि संस्थापक (फाउण्डर) होता है के द्वारा किया जाता है. फाउण्डर कुछ धनराशि या अचल सम्पत्ति को सार्वजनिक हित में ट्रस्ट को दान देने की घोषणा डीड में करता है. ट्रस्ट निर्माण की प्रक्रिया में यह आवश्यक है कि सेटलर सार्वजनिक हित में कुछ धनराशि या अचल सम्पत्ति परोपकारी उद्देश्य के देने की घोषणा ट्रस्ट डीड में करें. ट्रस्ट एक लिखित कानूनी दस्तावेज होता है जिसमें कुछ ट्रस्टी होते हैं जो ट्रस्ट के प्रबंधन, संचालन, नियंत्रण, विस्तार की जिम्मेदारी निभाते हैं.
ट्रस्ट डीड के मुख्य बिन्दू
एक ट्रस्ट में मुख्य उद्देश्य व कानूनी धाराएं (क्लॉजेज) स्पष्ट होने चाहिए. ट्रस्ट बनाने का कारण व उद्देश्यों की स्पष्ट घोषणा होनी चाहिए. एक ट्रस्ट डीड में सामान्यतया निम्न मुख्य बातें होनी चाहिए:
- ट्रस्ट के सेटलर का नाम
- ट्रस्ट के संस्थापक (फाउण्डर) ट्रस्टीज का नाम
- ट्रस्ट के उद्देश्य किसके हित में है यह स्पष्ट हो. चैरिटेबल ट्रस्ट में यह सार्वजनिक हित में ही होना चाहिए.
- मेमोरण्डम (संविधान पत्र) में ट्रस्ट के नाम का स्पष्ट उल्लेख हो. ट्रस्ट का नाम कुछ भी हो सकता है लेकिन वह सरकारी संस्था के नाम पर या सरकारी संस्था के जैसे होने का भ्रम दे ऐसे नाम पर न हो. एम्बलम एक्ट में जिन नामों का निषेध है उन नामों पर संस्था का नाम न हो.
- ट्रस्ट का पंजीकृत कार्यालय (रजिस्टर्ड ऑफिस) व प्रशासनिक ऑफिस का पूर्ण पता
- मुवेबल एसेट या प्रॉपर्टी (चल या अचल सम्पत्ति) का ब्यौरा रूपयों में घोषित हो. यह वह धनराशि है जो सेटलर- ट्रस्टीज सार्वजनिक हितकार्य में ट्रस्ट को समर्पित कर रहे है.
- ट्रस्ट के सभी उद्देश्य एकदम स्पष्ट लिखित में हो.
- ट्रस्ट जनहित में करने वाले सभी कार्य उद्देश्य या किसी एक पर ही विशेष रूप से कार्य करना चाहती हो तो उसे स्पष्ट करें जिससे फंडिंग मिलने में आसानी रहे.
- ट्रस्ट में ट्रस्टीज के अधिकार, कर्त्तव्य व शक्तियां स्पष्ट हो कि किस तरह से ट्रस्ट में नवीन ट्रस्टीज-सदस्यों को नियुक्त किया जाएगा, हटाया जाएगा.
- ट्रस्ट के कार्यों से किसे लाभ मिलेगा, किसका भला होगा यह भी स्पष्ट हो.
- ट्रस्ट डीड में ट्रस्ट को किस प्रारूप व पद्धति से बनाया गया है यह भी स्पष्ट हो.
इण्डियन ट्रस्ट एक्ट के तहत ट्रस्ट डीड का रजिस्ट्रेशन
ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन, इण्डियन ट्रस्ट एक्ट 1882 के तहत होता है लेकिन कोई भी ऐसा एसाइनमेंट (कार्य) जो किसी को
अधिकार, टाइटल या हितलाभ देता हो जिसके पास 100 रुपये से ज्यादा की चल या अचल सम्पत्ति हो उसे रजिस्टर करवाना आवश्यक है यह रजिस्ट्रेशन रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 के तहत होता है. इस तरह एक ट्रस्ट डीड जो इस तरह की चल-अचल सम्पत्ति से जुड़ी है उसका रजिस्ट्रेशन अवश्य होना चाहिए.
ट्रस्ट डीड को रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा 23 के तहत उप पंजीयन (सब रजिस्टार) कार्यालय में सरकार द्वारा चल-अचल सम्पत्ति जो दर्शायी गई है डीड में उसके अनुसार रजिस्ट्रेशन शुल्क प्रस्तुत दस्तावेज के साथ कार्यालय में जमा कराने होते हैं. (धारा 78)
ट्रस्ट डीड में यदि अचल सम्पत्ति का शासित किया गया है तो उसका स्पष्ट ब्यौरा देना होगा. (धारा 22 व 22) डीड में यदि कोई फेरबदल, करेक्शन आदि किया है तो उसे निष्पादन करने वाले व्यक्ति द्वारा अटेस्टेड किया जाए. (धारा 20)
जब पंजियनकर्ता अधिकारी (रजिस्टरिंग ऑफिसर) पूरी तरह से संतुष्ट हो जाए कि एक्ट के प्रावधानों के अनुसार यह ट्रस्ट डीड रजिस्टर्ड की जा सकती है तो वह ‘रजिस्टर्ड’ शब्द के साथ सर्टिफिकेट जारी करता है जिस पर पंजीयक (रजिस्टार) के हस्ताक्षर व मोहर (सील) होते हैं व रजिस्ट्रेशन नम्बर व रजिस्ट्रेशन की दिनांक दर्ज होती है. (धारा 60)
धारा 47 के अनुसार रजिस्ट्रेशन की दिनांक से ही इसे संचालन योग्य जाना जाता है.
पब्लिक ट्रस्ट एक्ट के तहत ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन
देश के कुछ राज्य जैसे महाराष्ट्र-गुजरात आदि में पब्लिक ट्रस्ट्स एक्ट के तहत चैरिटेबल ट्रस्ट रजिस्टर्ड होती है. इन राज्यों में बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट्स एक्ट, 1950 के तहत सभी चैरिटेबल व रीलिजीयस संस्थाएं पब्लिक ट्रस्ट्स (सार्वजिक न्यास) के रूप में रजिस्टर्ड होती है और ये राज्य के चैरिटी कमिश्नर के तहत व सुपरविजन में होती है.
विभिन्न राज्यों में निम्न एक्ट भी लागू होते है जिनके तहत पंजीयन हो सकता है:
- बिहार हिन्दू रीलिजियस ट्रस्टस एक्ट, 1950
- मद्रास हिन्दू रीलिजियस एण्ड चैरिटेबल एण्डोमेंट्स एक्ट, 1959
- पुरी श्री जगन्नाथ टेम्पल (एडमिनिस्ट्रेशन), 1952
- बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट्स एक्ट, 1950
- मध्यप्रदेश पब्लिक ट्रस्ट एक्ट, 1951
- उड़ीसा हिन्दू रीलिजियस एण्डोमेंट्स एक्ट 1951
- ट्रावणकोर-कोचीन हिन्दू रीलिजियस इंस्टिट्यूशन एक्ट, 1970
- राजस्थान पब्लिक ट्रस्ट्स एक्ट, 1959
- उत्तरप्रदेश चैरिटेबल एण्ड हिन्दू रीलिजियस इंस्टीट्यूशनस एण्ड एण्डोमेंट एक्ट, 1966
- चैरिटेबल एण्ड रीलिजियस ट्रस्ट्स एक्ट, 1920
ट्रस्ट और ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन के लिए देश के कानून के अनुसार, चैरिटेबल एण्ड रीलिजियस ट्रस्ट्स एक्ट, 1920, ही एक ऐसा कानून है जो सभी तरह के धार्मिक समुदायों के चैरिटेबल ट्रस्ट के लिए है. यह कानून पब्लिक चैरिटेबल और रीलिजियस एण्डोमेंट के तहत कुछ प्रावधानों के अनुसार अयोग्य ट्रस्टी के खिलाफ कुछ मामलों में मुकदमा चलाने की अनुमति तो देता है लेकिन कानून प्रत्यक्ष तौर पर कोई प्रभावी नियंत्रण नहीं रखता है.
रीलिजियस एण्डोमेंट एक्ट, 1863
इस कानून के मुताबिक सरकार कुछ धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन को अपने नियंत्रण में रखती है.
इण्डियन ट्रस्ट एक्ट, 1882
यह कानून निजी और पारिवारिक न्यास पर भी लागू होता है लेकिन इसके प्रावधान पब्लिक ट्रस्ट पर भी लागू होते हैं. जैसे उदाहरण के लिए इस एक्ट की धारा 46 व धारा 47 जो ट्रस्टीज के लिए है ये पब्लिक ट्रस्ट्स के ट्रस्टीज पर भी समान रूप से लागू है.
रजिस्ट्रेशन (पंजीयन) के लिए कंसल्टेंसी सेवाएँ
एक ट्रस्ट किसी सरकारी विभाग द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर नियंत्रित नहीं होती है इसलिए रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद संबंधित रजिस्टार कार्यालय में रिटर्न फाइलिंग करने की जरूरत नहीं होती है. एफसीआरए के तहत एक ट्रस्ट को संबंधित विभाग को वार्षिक रिटर्न जमा करवाने होते हैं. सरकारी और गैर सरकारी विभाग से वित्तीय अनुदान सहायता लेने के लिए और यूं भी ट्रस्ट का संपूर्ण वित्तीय लेखा-जोखा अनुशासित व्यवस्थित रखने के हिसाब से भी ट्रस्ट का वार्षिक रिटर्न भरना आवश्यक हो जाता है. ऐसे व्यक्ति जो मेहनती समझदार और किसी भी संविदा करार को करने में सक्षम हो ट्रस्ट बना सकते हैं. एक निकाय, समूह, संस्थान, लिमिटेड कंपनी ट्रस्ट बना सकते हैं. ट्रस्ट बनाने के लिए कम से कम दो व्यक्तियों की जरूरत होती है. संस्था बनाने के लिए चैरिटेबल ट्रस्ट बनानी होती है जिसमें आपके समाज कल्याण व उन्नति के सभी उद्देश्य निहित होते हैं.
ट्रस्ट बनाने के दस्तावेज पर ट्रस्टीज के हस्ताक्षर होते हैं. ट्रस्टीज की नियत व उद्देश्य बहुत स्पष्ट, युक्तियुक्त व निर्विवाद होने चाहिए.
किसी विदेशी को ट्रस्टी बनाने में कोई रूकावट नहीं है. जो भी व्यक्ति संविदा करार करने में सक्षम हो वो ट्रस्ट बना सकता है. अगर आप ट्रस्ट रजिस्टर करवाना चाहते है तो निश्चित तौर पर चाणक्य कंसल्टेंसी से संपर्क कर सकते हैं. ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन से लेकर ट्रस्ट के सफल संचालन तक चाणक्य टीम आपको पूरा सहयोग देगी.